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Interview

Vishal Pandey : Rising Star in Hindi Translation

याली ड्रीम क्रिएशन्स की चर्चित ग्राफ़िक नावेल कारवां ब्लड वॉर अभी अभी हिंदी में “कारवां : खुनी जंग” के नाम से प्रकाशित हुई है, इससे पूर्व याली की ही कारवां हिंदी में रिलीज़ हुई थी, जिसके हिंदी संवादों की काफी प्रशंषा हुई थी. पूरा ग्राफ़िक नावेल पढ़ने पर ऐसा कहीं नहीं लगा की इंग्लिश की सीधे हिंदी की गई है, बल्कि ऐसा प्रतीत हुआ की एक एक डायलाग दुबारा से लिखा गया है. हिंदी ट्रांसलेशन ऐसा गज़ब का था की कहानी की आत्मा में नयी जान आ गई. वह दमदार संवाद लिखे थे विशाल (विभव) पांडे ने, जिन्होंने हालिया रिलीज़ कारवां : खुनी जंग एवं तारानाथ तांत्रिक का भी हिंदी ट्रांसलेशन किया है. तो आज हमारे साथ है विशाल (विभव) पांडे, जो अपने अनुभव और व्यक्तिगत ज़िन्दगी के बारे में शेयर करेंगे।

विशाल सबसे पहले तो आपका स्वागत है, तो अभी आप क्या रहे हैं और आगे का क्या प्लान है?

धन्यवाद! अभी तो मैं I.T. की स्टडी कर रहा हूँ और ‘याली ड्रीम क्रिएशन्स’ का टीम मेम्बर भी हूँ…रहा सवाल आगे का तो कल किसने देखा है? कोशिश हम कुछ न कुछ अच्छा करने की ही करते हैं, अच्छे से बेहतर की और बेहतर से बेहतरीन की।

कॉमिक्स के प्रति अपने जूनून के बारे में कुछ बताएं।

जुनून? हेहे, “जुनून” शब्द आजकल  टौंट मारने हेतु ज्यादा प्रयुक्त होने लगा है, खैर जुनून तो है ही, मैं कोई बहुत पुराना कॉमिक्स फैन नहीं रहा हूँ…यही कोई 3-4 साल से कॉमिक्स पढ़नी स्टार्ट की है, लेकिन इतने कम समय में ही काफी ज्यादा कॉमिक्स नॉलेज कवर करने की कोशिश की है और अभी भी कर रहा हूँ। यह जुनून नहीं तो और क्या है? आज एंटरटेनमेंट के सैकड़ों दिलचस्प माध्यम उपलब्ध होने पर भी जो कॉमिक्स खरीद और पढ़ रहे हैं, वे मेरे लिए सम्माननीय हैं और उनके तरह ही बनने की मैंने पूरी कोशिश की है और निरंतर कर रहा हूँ। कॉमिक्स का मेरा दिमागी दायरा बढ़ाने में अहम भूमिका रही है।

आप प्रोफेशनल लेवल का हिंदी ट्रांसलेशन करते हैं, यह हुनर कहाँ से आया और इसकी चुनौतियाँ क्या हैं?

स्कूल टाइम से ही मेरी हिंदी काफी स्ट्रौंग रही है, और मेरा यह मानना है कि हर वो शख्स जो शुरू से ही हिंदी बोलता, पढ़ता और लिखता आया है उसके मस्तिष्क में एक नेचुरल ट्रांसलेटर लगा है, इंग्लिश उसके कानों में पड़ने के बाद पहले हिंदी में ट्रांसलेट होती है फिर समझ में आती है…मेरे साथ तो ऐसा ही है, और इस पॉइंट को मैंने शुरू से ही पकड़कर रखा है जिसका उपयोग मैंने अपने पेजेज और ब्लॉग्स पर किया…दुनिया भर की इंग्लिश पोस्ट्स पढ़कर उसे हिंदी में ट्रांसलेट करके पोस्ट करता जो लोगों को काफी पसंद आता था। तो इस तरह जन्म हुआ मेरे इस हुनर का। इसकी चुनैतियों की बात करें तो आप इसमें लाइन बाय लाइन अनुवाद नहीं कर सकतें, वो रोबोटिक लगेगा…आपको हर लाइन को नए सिरे से हिंदी में तब्दील करना होता है, जो नए के साथ-साथ मज़ेदार भी लगे, आपको इसमें कई ठेठ देसी भाषाओँ की बेसिक जानकारी होनी चाहिए और हिंदी व्याकरण की हार्डकोर नॉलेज जिससे शब्द और वाक्य ग्रामैटिकली सही रहें। इन सबके बावजूद आपकी बुक अनुवाद से ज्यादा रूपांतरण लगनी चाहिए, मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि लोग ये भांप ही न सकें कि यह कॉमिक बुक ट्रांसलेटेड है।

याली ने आपको कैसे एप्रोच किया?

लम्बी कहानी है, आपको याद होगा बहुत पहले जब “कारवाँ-हिंदी” की Announcement हुई थी तब एक फेसबुक ID बनी थी ‘Yali Swapna Kritiyan’ उसके यूजर कोई साउथ इंडियन थें जिनकी हिंदी जानकारी काफी कम थी, तो जो भी वो पोस्ट्स करते थें ग्रुप्स में वो मजाक, उपहास का पात्र बन जाती थीं….यह सब देखने के बाद मैंने उस ID को रिक्वेस्ट भेजी साथ ही में मेसेज भी किया…उन्हें मदद की सख्त आवश्यकता थी तो मैंने उनकी मदद करने की सोची क्योंकि सत्य तो यह है की मैं हिंदी कॉमिक्स इंडस्ट्री को और भी Expand होते देखना चाहता था और चाहता हूँ, याली का ग्राफ़िक नोवेल को हिंदी में लाने का कदम मुझे सराहनीय लगा। वो मुझे पोस्ट कंटेंट भेज देते थें और मैं उसे हिंदी में ट्रांसलेट करके दे देता था। तो ऐसे ही धीरे-धीरे मेरा कांटेक्ट शमीक दासगुप्ता जी से हुआ…उन्होंने मेरी इस स्किल को नोटिस किया और मुझे ट्रांसलेशन का मौका दिया, और मेरी कॉमिक्स के प्रति उत्सुकता और जिज्ञासा देख मुझे याली टीम का मेम्बर भी बनाया और पूरी टीम से इंट्रोड्यूस भी करवाया। सबसे मज़े की बात यह है कि मेरा ट्रांसलेशन टेस्ट लेने के लिए दासगुप्ता जी ने “देवी चौधरानी” के कुछ पेजेज भेजे थे, जिसका हिंदी ट्रांसलेशन उन्हें बेहद पसंद आया था।

विशाल जी आपकी पर्सनल लाइफ के बारे में कुछ बताये ?

देखिये, मेरी (विशाल) पर्सनल लाइफ कोई खासी पर्सनल नहीं है, वो काफी ओपन है….मैं U.P. के एक गाँव से बिलोंग करने वाला व्यक्ति हूँ, और गाँवों से होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको जमीन से जुड़ी कई दुर्लभ चीज़ों की जानकारी होती है जिसमें सबसे मुख्य चीज़ है “कल्चर”। इन जमीनी जानकारियों के साथ जब आप मॉडर्न होते हैं तो आप यह जल्दी नहीं भूलतें कि आप असल में हैं कौन और आपका अस्तित्व क्या है। बाकी दूसरी चीज़ें हैं मूवीज, कॉमिक्स, दोस्ती-यारी और पैरेंट्स जो शायद काफी कॉमन चीज़ें हैं।

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Books which Vishal Traslated in Hindi, available at Yali Store.

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शामिक और अस्विन के साथ काम करना कैसा रहा?

शामिक जी मस्त इंसान हैं, काफी मिलनसार…पर जब बात ऑफिसियल वर्क्स की हो तो वे बड़े ही स्ट्रिक्ट हैं, उन्हें हमेशा परफेक्शन की भूख रहती है…जरा भी गड़बड़ी दिखी तो तुरंत करेक्शन करवाने से नहीं चूकतें। मेरे साथ भी ऐसा ही था, चूँकि रचनाएँ और पात्र उनके थे तो उन्होंने मुझे काफी गाइड किया ट्रांसलेशन में…अपने हिसाब से सबकुछ सेट करवाया…पर यह जरुर कहना चाहूँगा कि मुझपर और मेरे वर्क्स पर उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।

अस्विन जी का काफी शांत स्वभाव का व्यक्तित्व है, हमेशा कुछ नया करने का जुनून! कॉमिक्स को लेकर उनका विजन काफी अनोखा और बड़ा है…कुल मिला जुलाकर काफी मजेदार और यादगार अनुभव रहा याली टीम के साथ काम करने का।

विशाल जी, कॉमिक्स फैन बनने का सबसे बड़ा कारण क्या रहा है?

बेशक सुपरहीरोज!! सुपरहीरोज हमें ऐसी चीज़ों से रूबरू करवाते हैं जिनके बारे में हमने शायद सपने में भी न सोचा हो जिससे हमें इनकी लत लग जाती है…पर एक अच्छी लत।

विशाल जी, आपका फेवरेट सुपरहीरो?

काफी कठिन सवाल है, कोई एक ख़ास सुपरहीरो तो मेरा फेवरेट नहीं है…कई हैं, किसी एक का नाम लिया तो बाकी बुरा मान जायेंगे, बेसिकली मुझे सूपरपावर्स से लैस्ड शक्तिशाली सुपरहीरोज ज्यादा पसंद हैं जैसे सुपरमैन, हल्क, ग्रीन लैंटर्न्स, आयरन-मैन, भेड़िया, जीन ग्रे वगैरह। नाम लिखते-लिखते शाम हो जाएगी (हँसते हुए )

“खूनी-जंग” में काम करने का अनुभव कैसा रहा?

130 पन्नों की कॉमिक्स का हिंदी में रूपांतरण करना अपने आप में काफी बड़ी बात है, खूनी-जंग ने मुझे बस परिपक्व ही बनाया है, आप जब खूनी-जंग पढेंगे तो आप ये महसूस करेंगे की मेरी स्किल्स पन्नों के साथ-साथ इवॉल्व हो रही हैं क्योंकि मैं खुद को अपग्रेड करता गया। खूनी-जंग एक रेगुलर हिंदी कॉमिक्स रीडर के लिए एक ऐसी कॉमिक्स है जिसे पढ़कर वो हिल जाएगा क्योंकि वैसा कुछ हिंदी कॉमिक्स में अबतक निसंदेह किसी ने नहीं पढ़ा होगा।

आगे भी इस काम को जारी रखने की सोची है?

इंग्लिश ग्राफ़िक नोवेल्स को हिंदी में लाने का सिलसिला जो याली ने शुरू किया है उसे एक तरह का आप “रिस्की एक्सपेरिमेंट” कह सकते हैं जो सफल हुआ तो क्रांतिकारी सिद्ध होगा, विफल हुआ तो घातक। और सफलता, विफलता सेल्स यानी बिक्री पर निर्भर करती हैं..इसकी सेल्स अच्छी रहीं तो निसंदेह और भी पब्लिशर्स अपनी कॉमिक्स हिंदी में लाने की सोचेंगे…जैसे अभी “स्पीच बबल एंटरटेनमेंट” ने अपनी “तारकनाथ तांत्रिक : अंधेर नगरी” हिंदी में रिलीज़ की जिसमें मैंने काम किया है। अगर इनकी सेल्स उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं तो हिंदी प्रोडक्शन मजबूरन बंद कर दी जायेगी और शायद ये मेरे आखिरी काम होंगे। अब ये चीज़ें तो वक्त और सेल्स पर निर्भर करती हैं, पर जो भी हो इनमें काम करके मज़ा आया।