नागराज ने भारतीय कॉमिक्स जगत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्ष 1986 में नागराज का प्रथम अंक प्रकाशित हुआ। इस अंक की रचना परशुराम शर्मा जी ने की थी और महान कलाकार प्रताप मुलिक जी ने चित्रित किया था। इसके बाद से प्रताप मुलिक जी नागराज के साथ हमेशा जुड़े रहे हैं। नागराज ने भारतीय कॉमिक्स जगत को स्वर्णिम युग में ले जाने का काम किया है। इस युग में कोई भी युवा नागराज को छोड़ नहीं सकता था। नागराज के प्रथम अंक की बात ही निराली थी। इसके मुख्य कवर पर एक अजीब सा आकर्षण था, जिसे जगदीश और पंकज जी ने बनाया था। लोग उसके दीवाने हो गए हैं। हम यहाँ उस मनमोहक कवर को हाई रिज़ॉल्यूशन साइज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। नीचे दी गई इमेज को डाउनलोड करें और आपकी टिप्पणी और सुझाव स्वागत हैं।
हालांकि, यह अभिन्नता पूर्ण करने के लिए अधिक शब्दों की आवश्यकता है। नागराज के माध्यम से उत्कृष्ट कार्य करने के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए, इसका अधिक महत्व व्यक्त किया जा सकता है। इस अंक के प्रकाशन के साथ, नागराज ने एक नया अध्याय शुरू किया था, जिसने भारतीय कॉमिक्स को आधुनिकता की ओर प्रवृत्त किया। इससे पहले के समय में, भारतीय कॉमिक्स अधिकतर पौराणिक कथाओं, महाभारत, रामायण, आदि पर आधारित थे। नागराज ने एक अद्वितीय कार्य किया और इसे भारतीय युवा के बीच प्रस्तुत किया, जिससे वे नए और रोचक कार्यों का आनंद ले सकें। इस प्रथम अंक का सफल प्रकाशन भारतीय कॉमिक्स के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल था। इसके लेखक और कलाकारों के बीच एक मजबूत साथ और अद्वितीय संबंध का भी प्रतीक था, जो इस कॉमिक्स चरित्र को अद्वितीय बनाता है।
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