कॉमिक्स कालचक्र की तकनीकी गड़बड़ी के कारण कुछ आयाम ( Dimensions ) आपस में अस्थाई रूप से गुचड-मुचड हो गए हैं। अलग-अलग किरदारों, सीरीज के डायलॉग, नैरेशन मिक्स हो गए हैं। आपके अपने अराजक तत्व लेखक ने मौके का फायदा उठाते हुए अन्य आयाम ही नहीं, अलग प्रकाशनों और सुविधानुसार out of context dialogues को भी बीच में घुसा कर ज़बरदस्ती अपनी रचनात्मक स्वतंत्रता का स्टाइल मारने की कोशिश की है।
1). तिरंगा (शायरी) – हर इंसान का ज़मीर सो गया, मेरा वतन कहाँ खो गया…
कुर्ला बस्ती निवासी – अरे सुना शंकालु के एक और बच्चा हो गया !?!
2). [“आतंकवाद उन्मूलन यात्रा पर नागराज जब भी किसी विदेशी बाला से मिलता है…”]
[“…तो जुपिटर ग्रह पर कहीं ज्वालामुखी फटता है!”]
3). विसर्पी – नागराज तुम मेरा साथ नहीं दोगे तो कौन देगा?
चाचा चौधरी – दिल छोटा मत करो, तुम डगडग ले लो।
4). बौना वामन – है किसी में जिगर जो वामन से टक्कर ले?
[“पिंकी! बाहर जाकर छोटू के साथ खेलो।”]
5). सिल्लू – फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन में अब नेक्स्ट कौन आएगा?
तिरंगा – जब फर-फर फहरायेगा तिरंगा लबादा, जब चकर-चकर लहरायेगी तिरंगी ढाल…तब आएगा तिरंगा।
6). प्रिंसिपल – मुझे लगता है दुनिया का सबसे बड़ा कमीना है…
कोबी – बुड्ढा-टुड्ढा फूजो!
7). [“भले ही भोकाल ने 3 विवाह किये हों पर उनके मन में सदैव एक ही नाम बसता है…”]
…सविता भाभी
8). मारिया – किंग बेटा दूध पियो!
अदरक चाचा – ये काम सिर्फ डोगा जैसा मर्द कर सकता है।
9). शीना – मैं अपनी मानसिक शक्ति से यहाँ कई बम उड़ा दूँगी।
फौलादी सिंह – अश्लील है ये लौंडी!
10). शक्ति – अब यहाँ उष्मा से पिघलाकर हथियार बनाने के लिए यहाँ किस चीज़ का प्रयोग करूँ?
बांकेलाल – मोटे की राजगद्दी…
आप लोगो से आग्रह है कि अगर आपने ऐसी आयामी गुचड-मुचड सुनी हो तो हमारे साथ साझा करें।