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Amazing World of Fan Made Comics

Fan Made Comics

Fan Made Comics यानी प्रशंसक-कृत कॉमिक्स की दुनिया, कॉमिक्स की परंपरागत दुनिया का एक समांतर आयाम है। ये ट्रेंड सर्वप्रथम दो-तीन वर्ष पहले दिखाई दिया। यह समयकाल अपने-आप में भारतीय कॉमिक्स प्रशंसकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। ये समय ऑरकुट के अंत और फेसबुक के उत्थान का था। कॉमिक्स जगत के वो प्रशंसक जो 80 के दशक से इस जादुई दुनिया से जुड़े थे, उनके लिए ऑरकुट एक ऐसा प्लेटफार्म बना जिसने उन्हें वापस कॉमिक्स के सँसार में खिंचा और उन्हें पुरानी भारतीय कॉमिक्स डिजिटल स्कैन्ड रूप में प्रदान की। जब ऑरकुट बंद होने के क़गार पर था तब प्रशंसकों ने फेसबुक पर पलायन शुरू किया। लेकिन फेसबुक पर फोरम ना होने के कारण ये प्रशंसक बिखरने लगे और अलग-अलग ग्रुप्स व पेजस से जुड़ गए।

इन्ही सब प्रशंसकों को वापस जोड़ने का काम किया फैन-मेड कॉमिक्स ने जिसे पहली बार प्रशंसकों के नज़रिए से बनाया गया था। इसमें अग्रणी इलुमिनाती (Illuminati) कॉमिक्स रहा। इसे मुख्य संपादक/संस्थापक डॉ.एलुकार्ड (Dr. Alucard) थे। इलुमिनाती कॉमिक्स प्रशंसकों के लिए बेहद आवश्यक रहा क्योंकि उस वक़्त कॉमिक्स का जूनून कमज़ोर होता जा रहा था। बदकिस्मती से Raj Comics के टूटते वादे (Doga Movie), सीरीज का रद्द होना (जैसे डेड गोड्स), अनियमित सेट और सेट में घटती कॉमिक्स संख्या, लोकप्रिय पात्रों की सीरीज बंद करना आदि कारणों से प्रशंसक Raj Comics से दूर होते जा रहे थे। दूसरे हिंदी प्रकाशन जैसे मनोज, तुलसी, राधा, गोयल कॉमिक्स बंद हो चुके थे और Diamond Comics में सीरीज एवं स्टोरी-लाइन की कमी के कारण उसे सिर्फ बच्चों का साहित्य समझे जाना लगा था। गौरतलब है की इस वक़्त तक Avengers फ़िल्म भारत रिलीज़ नहीं हुई थी इसलिए अधिकांश मध्यम-वर्गीय प्रशंसकों ने अंग्रेजी कॉमिक्स से दूरी बनायीं हुई थी।

[two_third]प्रशंसक अपनी कुंठा और निराशा दूर करने के लिए राज कॉमिक्स के वेबसाइट फोरम और फेसबुक पर फैन-फिक्शन लिखने लगे। इलुमिनाती कॉमिक्स ने वो कर दिखाया जो हर कॉमिक्स फैन का सपना था। उनके चहिते पात्रों को लेकर एक Fan Made Comics सीरीज शुरू की। इस सीरीज की अभूतपूर्व विशेषता यह रही की इसमें ना सिर्फ राज, तुलसी, मनोज, डायमंड कॉमिक्स के किरदारों का उपयोग किया गया बल्कि विदेशी Marvel और DC Comics के किरदार भी अहम् भूमिकाओं में नज़र आये। इस सीरीज की पहली कॉमिक्स “Earth 24: पॉइंट जीरो” जिसमे एक प्रकार से सीरीज की प्रस्तावना थी।[/two_third]

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इसमें Chacha Chaudhary, Angaara, Nagraj, Phantom, Batman, Superman आदि प्रसिद्ध किरदार थे जो प्रशंसकों के दिल में “नागराज और जादूगर शाकूरा” (ओरिजिनल प्रिंट) और “राम-रहीम: ड्राकुला का प्रेतजाल” की याद एक बार फिर जगा गए। यहाँ तक की सीरीज में उपरोक्त कहानियों के अंश भी लिए गए है और उनसे कहानी का ताना-बाना बुना गया। Fan Made Comics सीरीज में कुल 5 भाग (Earth 24, ग्राउंड जीरो, इन्वेशन, नो मर्सी और Unforgiven) प्रकाशित हुई जो किसी भी लिहाज़ में व्यावसायिक कॉमिक्स से कम नहीं थी और पृष्ठ संख्या भी पर्याप्त थी। हर कॉमिक्स की कहानी कुछ मुख्य किरदारों के इर्द-गिर्द घुमती है जिसमे अनेक किरदार अतिथि भूमिका में भी होते थे। सबसे अच्छी बात ये थी की हर अंक अपने-आप में एक स्वतंत्र विभिन्न कहानी प्रस्तुत करता था और ये सभी मुख्य कथा-चाप (स्टोरी-लाइन) से भी जुड़े रहते थे। ये सभी अंक मुफ़्त में ऑनलाइन सिर्फ़ डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध थे। कुछ कारणवश संस्थापक ने इसका प्रकाशन रोक दिया और अंत एक हृदय-स्पर्शी सन्देश के साथ किया जो वापसी की बेहद हल्की आस छोड़ गया।

इसी दौरान मोहित जी की “परिक्रमा” भी आई जिसमे एक नयी शैली में एंथोनी और सुपर कमांडो ध्रुव की हॉरर-थ्रिलर कहानी का 12 पृष्ठ का एक teaser दिया पर एक बार फिर अज्ञात कारणों के चलते पूरी कॉमिक्स कभी प्रकाशित नहीं हुई।

Fan Made Comics

इलुमिनाती कॉमिक्स के अंतिम अंक के आस-पास बलविंदर सिंह जी ने Fan Made Comics (फैन-मेड कॉमिक्स) की
स्थापना की। जहाँ इलुमिनाती कॉमिक्स हार्ड-कोर कॉमिक्स प्रेमियों के लिए ज्यादा लुभावनी थी क्योंकि उसमे देशी-विदेशी नए-पुराने किरादारों का संगम था वही Fan Made Comics फैनस की उस नयी पीढ़ी को आकर्षित कर रही है जो नए पाठक है और उनका अधिक रुझान केवल भारतीय किरदारों पर है। Fan Made Comics के अभी तक २ अंक प्रकाशित हो चुके है – “सेर सवा सेर” और “राइज ऑफ़ डार्कनेस” । इन दोनों में अभी तक कहानी Doga और Shaktimaan पर केन्द्रित है जो उनके हिंसा-अहिंसावादी दृष्टिकोण के संघर्ष पर आधारित है। चूँकि इसका हर अंक अपने-आप में स्वतंत्र कहानी नहीं अपितु एक ही कहानी के भाग है इसलिए सभी भागों के प्रकाशित होने तक इसकी समीक्षा करना सही नहीं है।

प्रशंसक-कृत कॉमिक्स को दो प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है:

Edited कॉमिक्स – Photoshop and MS Paint का उपयोग कर बनायीं गयी कॉमिक्स

इलुमिनाती कॉमिक्स और Fan Made Comics इस श्रेणी में रखे जा सकते है। दोनों में ही बड़ी ख़ूबसूरती से एडिटिंग की गयी है जो ना सिर्फ इसे प्रोफेशनल स्वरुप देता है बल्कि साथ ही पेज सेटिंग में भी उत्तम रहता है। हालाँकि किरदारों का सही पोज़ ढूँढना और उनकी एडिटिंग करना बेहद कठिन कार्य है परन्तु दोनों ही प्रकाशनों ने हर नए अंक के साथ अपनी गुणवता में सुधार किया और यादगार कहानियाँ दी।

Self-Made art and Colouring

“परिक्रमा” और COP/ब्रह्मा पटेल की “ताक़त का देवता” को इस श्रेणी में रखा जायेगा। “परिक्रमा” में आर्ट-वर्क ज़ोरदार बना है और कलरिंग भी शानदार है। इस तरीके में कलाकार को अपना पोज़ और स्थिति चुनने की आज़ादी होती है लेकिन मुख्य समस्या कहानीकार और कलाकार के मध्य सामंजस्य को लेकर रहती है क्योंकि दोनों के दृष्टिकोण अंतिम कृति को बहुत अधिक प्रभावित करते है। ये समय भी अधिक लेता है। शायद यही कारण है की ऐसे अंक अभी तक ज्यादा नहीं आये है। इस आर्टिकल के लिखे जाने तक “ताक़त का देवता” प्रकाशित नहीं हुई थी इसलिए बिना पढ़े उसकी विवेचना करना गलत होगा। हालाँकि अभी तक जो कवर पेज दिखाया गया है वो बेहद आकर्षक है और टीम की मेहनत दर्शाता है।

Fan Made Comics

प्रशंसक-कृत कॉमिक्स ना सिर्फ इन सभी कारणों से इतनी लोकप्रिय है लेकिन एक कारण ये भी है की इस कारनामे को आज तक सिर्फ भारतीय प्रशंसकों ने ही करा है। जहाँ विदेशी प्रशंसक फैन-फिक्शन से आगे बढ़ नहीं पाये है हमने उसके एक-चौथाई से भी कम वक़्त में उनकी दोगुनी सफ़लता प्राप्त कर ली है। इस सफ़लता में बधाई के पात्र Raj Comics जैसे आधिकारिक प्रकाशक भी है जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से इसे बढ़ावा दिया और कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क कानून का अनावश्यक उपयोग ना कर अपने प्रशंसकों के जूनून और प्यार को समझा। (नोट: आज तक की सभी प्रशंसक-कृत कॉमिक्स पाठकों को सिर्फ डिजिटल कॉपी और मुफ्त में ही दी गयी है।)

उम्मीद है आने वाले दिनों में ऐसी Fan Made Comics और भी आएँगी और Raj Comics भी अपनी पुरानी बुलन्दियाँ फिर छुएँगी। इन्हें आवश्यकता है सिर्फ पाठकों के प्रेम, सहयोग और प्रशंसा की।